संगमरमरी बाहे उसकी
तन फूलो की ड़ाल !
नैन उसके जादू भरे
मुख चाँदी की थाल !
कुंदन जैसे ओंठ रसिले
रेशम जैसे बाल !
चंदा-सूरज छुप जाय
देख क़े गोरे गाल !
उसके दर्प की माया से
आँखे है लालो-लाल !
बहती नदिया को शर्माए
मस्त पवन की चाल !
सुंदर सुंदर गीत मिलन क़े
मधुर -मधुर सुरताल !
वसंत पग पग नाचे
मौसम खेले हाल !
वह मेरे ज्ञान की देवी
मै उसका महिपाल !
इस नए और सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteनववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएँ.
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हर रविवार प्रातः 10 बजे
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bahut acha
ReplyDeletewaah! bahut khub... behtreem likha aap ne bdhaai...
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