Powered By Blogger

Sunday, December 9, 2012


                    (1)

मेरे गम अगर आपके होते तो आपने होश खो दिए होते !
एक मै हूँ  जो  मुस्कुराता  हूँ, आप  होते तो रो दिए होते !!
                                 (2)

कोई हमें भूल जायें, मर्जी उसकी..... 
हम उसे याद रखे, है ये फ़र्ज़ हमारा !! 
                                 (3)


कोशिशे - जोर क्या करें, किसी और को सुधारने की...................
...................ख़ुद ही सुधरे रहें, यही काफी है ज़माने क़े लिए !!



Monday, January 10, 2011



हमें और जीने की चाहत ना होती 
अगर तुम ना होते....!!

Saturday, December 18, 2010

ज्ञान की देवी

संगमरमरी बाहे उसकी

तन फूलो की ड़ाल !

नैन उसके जादू भरे

मुख चाँदी की थाल !

कुंदन जैसे ओंठ रसिले

रेशम जैसे बाल !

चंदा-सूरज छुप जाय

देख क़े गोरे गाल !

उसके दर्प की माया से

आँखे है लालो-लाल !

बहती नदिया को शर्माए

मस्त पवन की चाल !

सुंदर सुंदर गीत मिलन क़े

मधुर -मधुर सुरताल !

वसंत पग पग नाचे

मौसम खेले हाल !

वह मेरे ज्ञान की देवी

मै उसका महिपाल !

Friday, December 17, 2010

वाह...!!


क्या पूछा-

क्या करता है ये बंदा

कुछ मत पूछो,

अच्छा नहीं ये धंदा !

कई लोगो ने मिलकर

कर दिया इसे गन्दा !

चल रहा है आजकल

बहुत ही मंदा !

बच्चा था, जब

तब माँगा करता था चंदा !

जवानी में पिता की आशाओ

पर फिर कर रंदा

बंदा, आज भी

माँगा करता है चंदा !


Wednesday, December 15, 2010

सत्यानुसत्य


मनुष्य को सुख

कैसे मिलेगा.....?

नेता ने कहा-

मशीन बैठाओ

वस्तुओ की कमी है

उत्पादन बढाओ

उपकरणों की ताकत बढाओ

धन की वृद्दि करो !

फकीर ने कहा-

बाहर नहीं ; भीतर देखो

दूर करो,

मन से हिंसा को

क्रोध और द्वयेश को

मत सोचो-

आराम की बात

मिथ्या की बात

सोचो-

प्रेम की बात

आत्मतोषण की बात

और अंत में

फकीर को गोली

मार दी गयी !

नेता.......!!!


Tuesday, December 14, 2010

कह अपनी


अनबोले तारो सा सब
छुट जाता !
तुम न देते साथ तो
ये मन टूट जाता !
मानता हो ;दबा हूँ
तुम्हारे एहसानों तले
फिर भी न समझना हमे
जैसे कुत्ता पले !
मानव, मानव पर एहसान
नहीं करेगा,
तो क्या वह
दशमुखी रावण करेगा !
हम न रहे तुम्हारे साथ
तो क्या हुआ,
हमारा दिल तो सदा
तुम्हारा ही रहेगा !

Monday, December 13, 2010

अनकहनी...!

पियूष उघडे हुए माता

दूध पिलाती जाती है .....

लेकिन

किस आशा पर ;

यही, न कि

बेटा अंतिम समय

अवश्य पिलाएगा

दो बूँद

पानी क़े......!!